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Wednesday, January 22, 2025

प्रभु राम के नाम से

नैना देखत देखत थक गए 
रहा कहीं ना आराम से।
इन कानों को मिलती तृप्ति 
प्रभु राम के नाम से ।।

जिनकी पग पग धूली चंदन,
सुबह शाम करूं जिनका वंदन।
जिनकी महिमा अगम अमित है, 
न कहीं कोई विश्राम से ।।

इन कानों को मिलती तृप्ति 
प्रभु राम के नाम से ।।

मुख पर शोभा चंद्र सरिस है,
सेवा में हनुमंत कपिश हैं।
सीता जिनके वाम विराजे,
अयोध्या जैसे धाम से ।।

इन कानों को मिलती तृप्ति 
प्रभु राम के नाम से ।।

मन में उनकी मुरत रखकर, 
राम नाम का अमृत चखकर।
जिह्वा पल पल नाम पुकारे,
रटती आठों याम से।।

इन कानों को मिलती तृप्ति 
प्रभु राम के नाम से ।।

राम नाम से जागे सोए,
सियाराम में रहते खोए।
प्रभु के श्री चरणों में निवेदित,
सर्वसमर्पित निष्काम से 

इन कानों को मिलती तृप्ति 
प्रभु राम के नाम से ।।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 


Tuesday, January 21, 2025

बहती धारा

धन्य धरा का धाम धरोहर,
बहता जल अविराम मनोहर।
कल कल करता बहता जाता,
पग पग अपना पथ बनाता।।

तट पर जिसके वृक्ष सजे हैं,
वेग पाकर जो लरजे हैं।
हरे भरे तरुवर की प्राण,
फिर भी न कोई अभिमान।।

हरियाली को पोषित करती,
बूंद बूंद से सिंचित धरती।
लिए अटल विश्वास हृदय में,
बहती यूँ ही प्रकृति प्रलय में।।


सबकी प्यास बुझाती जाती,
मन उल्लास जगाती जाती।
करती सबके तन को निर्मल,
शीतल जल बहे बस निश्चल।।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 




Monday, January 20, 2025

जय श्री श्याम प्रभु

जय श्री श्याम प्रभु 
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राधा के मन यूँ बंधे,
ज्यों बाँधे कोई डोर।
नेह प्रीत अनंत प्रभु,
दिखता न कोई छोर।।

मोहन तेरे मोह मगन,
पशु पक्षी आकाश गगन।
मुझ राधा को वश में करते,
कान्हा के वाणी और मन।।

मंद मंद मुस्कान मनोहर,
मोर पंख मस्तक के ऊपर।
मुख की शोभा सूरज सम सुंदर,
प्रभु बसते हैं कण कण अंदर।।

नैनों से नूतन जादू सा डाला,
गल बीच शोभित वनमाला।
क्या गोपी क्या गोप ग्वाल जी,
सभे निहारत नंदलाल जी।।

प्रेम सुधा भी प्रतिपल बरसे,
मन ही मन में हर जन हरसे।
हे नाथ हे जग के नायक,
दुःख हर्ता जन जन सुखदायक।।

राधे कृष्ण की युगल छवि का 
अद्भुत मिला आनंद।
जय जय जय वृषभान दुलारी
जय श्री सच्चिदानंद। 

© अमित पाठक शाकद्वीपी

Monday, January 13, 2025

सुभाष चंद्र बोस

भारत भू के दिग्गज योद्धा,
अनुपम जिनकी शान रे,।
रक्त रस से सींच धरा को
दिया बहुत सम्मान रे।।

अद्भुत जिनका जोश 
कुछ ऐसे थे बोस।। ........ X 2

भारत माँ का सच्चा बेटा, 
रग रग में उबाल रे।
हुकूमत जिनसे थर थर कांपे, 
ऐसे किए बबाल रे।।

भक्ति थी सर्वोच्च,
कुछ ऐसे थे बोस।। ........ X 2

गरम दल के रहे प्रणेता, 
देश हित का रहा सवाल रे।
आजाद हिंद था फौज बनाया,
आजादी की बने मिसाल रे।।

अंग्रेज के उड़ गए होश,
कुछ ऐसे थे बोस।।....... X 2

भारत माता की रक्षा में,
किए न्योछावर प्राण रे।
देश धरा पर वीर सुभाष सा,
नहीं कोई महान रे।

सीने में आक्रोश,
कुछ ऐसे थे बोस।।........... X 2 

कुछ ऐसे थे बोस।
कुछ ऐसे थे बोस।।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

मनोरम छंद

तू मिला मुझे जब बालम,
२ १२ ११२ ११ २११
बेकदर फिरूं हर आलम,।
२१११ १२ ११ २११
नेह प्रीत के तट आकर 
२१ २१  २ ११ २११
मैं बस चाहता समागम।। 
२ ११ २१२ १२११

मानते हैं बहु मनोरम,
२१२ २ ११ १२११
प्रीत रीत का घटनाक्रम,
२१ २१ २  ११२११
नींद नाम से खुलती अब, 
२१ २१ २ ११२ ११
तू बना मेरा अलारम ।।
२ १ २२  २ १२११

नेह के बंधन

दिल पर थी जा लगी, थी प्रेम भावना जगी,
हंसना हंसाना सही, उनका स्वभाव है।

उनसे ही मिली खुशी, हृदय मध्य जा बसी,
चहरे पे मेरी हँसी, उनका ही प्रभाव है।

जब से मेरे संग है, अजीब सी उमंग है,
ये जीवन तरंग है, नया कोई प्रसंग है।

उनकी वाणी मधुर, गम करें कोसों दूर,
प्रेम में थे चूर चूर, हवाऐं भी मलंग है।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

Saturday, January 11, 2025

शर्मा जी की गाय


शर्मा जी की गाय
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गाँव के एक कोने में रामलाल का घर था। रामलाल के पास एक ही चीज़ थी जिस पर वह गर्व करता था—उसकी दूध देने वाली गाय। वह गाय न केवल उसके घर का पालन-पोषण करती थी, बल्कि गाँव के कई लोगों को भी दूध मुहैया कराती थी।

रामलाल के पड़ोस में रहते थे शर्मा जी। बाहर से बड़े भले और मददगार लगते थे, लेकिन दिल से स्वार्थी थे। एक दिन शर्मा जी ने रामलाल से कहा, "भाई, मेरी बेटी की शादी है। मुझे तुम्हारी गाय कुछ दिनों के लिए चाहिए। मेरे घर मेहमान आएंगे, तो दूध की ज़रूरत पड़ेगी।"

रामलाल नेकदिल इंसान था। उसने बिना किसी हिचकिचाहट के गाय शर्मा जी को दे दी। कुछ दिनों बाद जब रामलाल ने अपनी गाय वापस माँगी, तो शर्मा जी बहाने बनाने लगे।

"अरे भाई, गाय तो बीमार हो गई है। तुम कुछ दिन और इंतज़ार कर लो," शर्मा जी ने कहा।

दिन महीने में बदल गए, लेकिन रामलाल को गाय वापस नहीं मिली। जब वह गाय के लिए शर्मा जी के घर गया, तो उसने देखा कि गाय को बेच दिया गया है। यह देखकर रामलाल का दिल टूट गया।

रामलाल ने दुखी होकर कहा, "शर्मा जी, मैंने आप पर भरोसा किया था। आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।"

शर्मा जी ने ठंडी साँस लेते हुए कहा, "क्या करूँ भाई, मजबूरी थी।"

गाँव वालों को जब यह बात पता चली, तो सभी ने शर्मा जी की आलोचना की। रामलाल को न्याय दिलाने के लिए पंचायत बुलाई गई। पंचायत ने फैसला सुनाया कि शर्मा जी को गाय की पूरी कीमत चुकानी होगी और रामलाल से माफ़ी माँगनी होगी।

इस घटना ने एक बात साफ़ कर दी—भरोसा सबसे कीमती चीज़ है। शर्मा जी ने रामलाल के भरोसे को तोड़कर अपनी इज़्ज़त भी खो दी।

निष्कर्ष: कभी किसी का भरोसा न तोड़ें, क्योंकि यह वो धन है जो एक बार टूटने पर कभी वापस नहीं आता।

Tuesday, January 7, 2025

सुंदर मुख पर पुष्प सजाकर


अधरन पर मुस्कान गजब की,
सीधा सरल श्रृंगार है,
सुंदर मुख पर पुष्प सजाकर 
करती यूं मनुहार है।

प्रकृति बीच खड़ी वो इस पल 
नैनो से करती वार है,
भृकुटी बीच जो बिंदी लगी है,
उसका भी असर अपार है।

नैनन में काजल की बदरी,
लाली का भी व्यवहार है,
ऐसी मधुर मनोहर सादगी,
जिनसे उनको प्यार है।

रूप रंग में हर क्षण सुंदर,
अंग अंग सुकुमार है,
सचमुच उसकी अद्भुत किस्मत,
जो इनका हकदार है।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

श्री मदन मुरारी कृष्ण

उनके मुख की ज्योति जस ज्योति, अनुपम रूप क्या उपमा होती। उनका पानी जैसे पानी, मंद मृदुल मुस्कान सुहानी। वाणी जैसे शहद अधर पर, सुनना चाहूं ठहर...