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Monday, January 13, 2025

मनोरम छंद

तू मिला मुझे जब बालम,
२ १२ ११२ ११ २११
बेकदर फिरूं हर आलम,।
२१११ १२ ११ २११
नेह प्रीत के तट आकर 
२१ २१  २ ११ २११
मैं बस चाहता समागम।। 
२ ११ २१२ १२११

मानते हैं बहु मनोरम,
२१२ २ ११ १२११
प्रीत रीत का घटनाक्रम,
२१ २१ २  ११२११
नींद नाम से खुलती अब, 
२१ २१ २ ११२ ११
तू बना मेरा अलारम ।।
२ १ २२  २ १२११

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