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Monday, January 13, 2025

नेह के बंधन

दिल पर थी जा लगी, थी प्रेम भावना जगी,
हंसना हंसाना सही, उनका स्वभाव है।

उनसे ही मिली खुशी, हृदय मध्य जा बसी,
चहरे पे मेरी हँसी, उनका ही प्रभाव है।

जब से मेरे संग है, अजीब सी उमंग है,
ये जीवन तरंग है, नया कोई प्रसंग है।

उनकी वाणी मधुर, गम करें कोसों दूर,
प्रेम में थे चूर चूर, हवाऐं भी मलंग है।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

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