भारत भू के दिग्गज योद्धा,
अनुपम जिनकी शान रे,।
रक्त रस से सींच धरा को
दिया बहुत सम्मान रे।।
अद्भुत जिनका जोश
कुछ ऐसे थे बोस।। ........ X 2
भारत माँ का सच्चा बेटा,
रग रग में उबाल रे।
हुकूमत जिनसे थर थर कांपे,
ऐसे किए बबाल रे।।
भक्ति थी सर्वोच्च,
कुछ ऐसे थे बोस।। ........ X 2
गरम दल के रहे प्रणेता,
देश हित का रहा सवाल रे।
आजाद हिंद था फौज बनाया,
आजादी की बने मिसाल रे।।
अंग्रेज के उड़ गए होश,
कुछ ऐसे थे बोस।।....... X 2
भारत माता की रक्षा में,
किए न्योछावर प्राण रे।
देश धरा पर वीर सुभाष सा,
नहीं कोई महान रे।
सीने में आक्रोश,
कुछ ऐसे थे बोस।।........... X 2
कुछ ऐसे थे बोस।
कुछ ऐसे थे बोस।।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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