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Monday, July 21, 2025

शिव ध्यान

कण्ठे यस्य विराजते हि गरलं शीर्षे च मन्दाकिनी
वामाङ्गे गिरिजाननं कटितटे शार्दूल चर्माम्बरम्।।
माया यस्य रुणद्धि विश्वमखिलं तस्मै नमः शम्भवे
जम्बुवज्जलविन्दुवज्जलजवज्जम्बालवज्जालवत्।।

कण्ठे यस्य विराजते हि गरलं , गंगाजलम् मस्तके ।
वामांगे गिरिराज राजतनया जाया भवानी स्थिता: ।।
नन्दी स्कन्द गणाधिनाथ सहित: केदारनाथ प्रभो ।
केदारांचल संस्थिता हि सतत् कुर्यात सदा मङ्गलम् ।।


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कपाली शिव शंकर

डडम डम डडम डडम डम डडम डडम डम डडम डम डम डम  हर हर शंकर हरते तम  डडम डम डडम डडम डम डडम डडम डम डडम डम डम डम   जय गिरिजापति दीन दयाला, हाथ पिनाक...