डडम डम डडम डडम डम डडम
डडम डम डडम डम डम डम
हर हर शंकर हरते तम
डडम डम डडम डडम डम डडम
डडम डम डडम डम डम डम
हाथ पिनाक भुजंग की माला।
शशि शीतल मस्तक पर सोहे,
भस्म रमा तन मन को मोहे।।
गौर वर्ण और छवि निराली,
जय भूतेश्वर जय हो कपाली।
डम डम डमरू ध्वनि सुनाए,
नाद नाद प्रभु महिमा गाए।।
अखिल विश्व के नायक तुम हो,
दुःख नाशक सुख दायक तुम हो।
तांडव तेरा नृत्य मन भावन,
धन्य धरा को करते पावन।।
दमन किए शत्रुन् के दल को,
वेद बखाने तुम्हरे बल को।
हरि चिंतन में खोए रहते,
राम राम अंतर्मन में कहते।।
सारे जग तारक तुम हो,
पालक हरि संहारक तुम हो।
सृष्टि रथ की डोर सम्हाले,
अद्भुत हो बाघाम्बर वाले।।
– अमित पाठक शाकद्वीपी
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