THANK YOU FOR VISITING

THANK YOU FOR VISITING

Friday, April 4, 2025

तोटक छंद आधारित सृजन (112 112 112 112)

प्रश्न 
किनके तन पे, किनके मन पे,
प्रभु पूजन की सुमनें पनपे।
जब नेह नहीं फिर बेमन से,
उनको भजते रहते प्रण से ?

उत्तर 
तन पे उनके, मन पे उनके,
प्रभु पूजन की सुमनें पनपे।
जब नेह किया इस जीवन से,
प्रभु को भजते रहते मन से।।

प्रश्न 
फिर भी न हुआ, कुछ भी मन का,
इनका उनका न किसी जन का।
प्रभु ने न दिया तुझ को मन से,
जिनको भजते रहते मन से।।

उत्तर 
मिलने भर की यह चाह नहीं,
प्रभु जी तक ही यह राह रही।
प्रभु जी निज धाम मिला जबसे,
सब सौंप दिया उनको तबसे।। 

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

No comments:

Post a Comment

पिताजी : अब बुलाने पर भी क्यों वो पास आते नहीं?

पिताजी ; अब बुलाने पर भी क्यों वो पास आते नहीं? ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• थाम कर अंगुलियों को चलाते थे ज...