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Saturday, December 28, 2024

ऐसा संग तुम्हारा

सुनो बात सुहानी कहती हूं,
मैं बात पुरानी कहती हूं,
जब से देखा उनका चहरा,
इस दिल पे उनका ही पहरा।

उनकी आँखें जैसे दर्पण,
खुद को देखूं उनमें हर क्षण,
क्या रूप संवारा ईश्वर ने,
सागर भर दी ज्यों गागर में।

पहली बार मुलाकात हुई,
तो नैना अपलक उनको तके,
मैं खुद को जैसे भूल गई, 
अपने बस फिर तो वो ही लगे।

मेरे मित्र बने मुझको समझा,
तो मन ही मन ये मन हर्षा,
पाकर ऐसा सौभाग्य प्रभु,
जीवन में प्रतिपल नेह वर्षा।

फिर संग मिला तो खिल से गए,
सीता को राघव मिल से गए,
अब उनके चरणों का वंदन,
दिन रैन किया है सब अर्पण।

उनसे से जीवन में दंभ भरूं,
वो मेरे है मैं गर्व करूं,
बस खातिर उनकी जीती हूं,
उन पर व्यय सर्वस्व करूं।

उनका भी ऐसा कहना है,
उन्हें संग हमारे रहना है,
इतना भर स्नेह हो दोनों में,
सब कुछ फिर हस कर सहना है।

उनसे ही जीवन सुंदर,
सारे शौक श्रृंगार,
उन बिन जीवन फिर क्या जीवन,
सब कुछ है बेकार।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

Tuesday, December 24, 2024

चाय की वो टपरी

चाय की वो टपरी 

सर्द हवा ने जब ली अपनी अगड़ाई,
सर्दी की सुबह छुट्टी के पल में हमने टोली बनाई,
निकल पड़े हम चार दोस्त सुबह सबेरे सड़कों पर,
चाय की टपरी रही केंद्र बिंदु उन दिनों हम लड़कों पर।

गर्म गर्म सी चाय की प्याली हम सबने उठा ली,
दोस्ती की मिशाल सी कुल्हड़ फिर होठों से लगा ली,
स्वाद स्वाद में जी गए लम्हें कई सुहाने,
दिन वो वाकई स्वर्णिम से थे कोई माने या न माने।

अब वो लम्हा खो गया है, छूट गई सब मस्ती,
आदतें जब से महंगी हो गई, संबंध रह गई सस्ती,
मौके पर भी मिलना मुश्किल व्यस्त हो गया जीवन,
फिर भी उन लम्हों में देखो, अटका रहता है मन।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

Monday, December 23, 2024

स्मृति चित्र से निकल कर

उनके पलकों में क़ैद कई,
सुंदर स्वप्न सजीले,
नैनो पर काजल की बदरी भी 
पल पल प्रेम उड़िले।

उनके कुंतल के जाल तले, 
जब चेहरे की शोभा निखरी,
मानो उषा की किरणें 
जस बादल बीच हो बिखरी।

दीप्त भाल लगी ये बिंदी भी 
मन को कर दे मोहित,
होठों पे सजती लाली, 
ज्यों रक्त प्रभा सी शोभित।

गालों पर फूलों की रंगत 
कानों में कुंडल झलकाया,
हर क्षण जिसकी स्मृति रही 
मानो देखी जस वो काया।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

Tuesday, December 3, 2024

सरकार सुन लो मेरी

सरकार सुन लो मेरी, 
मेरी प्रीत की कहानी,
तू सांवरा है मेरा,
मैं हूं तेरी दीवानी।

पनघट पे तुझको तांकु, 
तेरी ओर पल पल झांकू,
इस दिल में सुमिर कर,
बस तेरा नाम जापूँ ।

तू श्वास श्वास साजे,
हृदयतल में भी विराजे,
पाकर दरश तुम्हारा,
मन का मयूर नाचे।

समझो मेरी व्यथा को,
इस प्रेम की प्रथा को,
सही जाए न जुदाई,
आंखों से आए पानी,

सरकार सुन लो मेरी, 
मेरी प्रीत की कहानी,
तू सांवरा है मेरा,
मैं हूं तेरी दीवानी।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

उनके नैना जैसे जादू

उनके नैना जैसे जादू  ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• उनके नैना जैसे जादू ,  सब   को मोहे जाए, झील सरिस हाय इन नैनन में...