कभी उसके अंदर की नमी तो देख
न आंक चहरे की मुस्कुराहट से हाल उसका
दिल में ख्वाहिशें बर्फ़ सी जमी तो देख।
कभी बेड़ियों में बांध कर उसे मजबूर कर दिया,
देवी बोलकर ही नहीं मान कर भी कभी तो देख,
भले पहले न देखी हो कोई खूबियां उसकी,
देर अब भी कहां हुई है अभी तो देख।
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