राधिका संग सांवरे प्रीत मिलन तैयार,
रोम रोम में रम रहे राधा संग मुरार।
जब श्याम के रंग रंगी राधा,
फिर प्रेम मिलन को क्या बाधा?
अरे बिजली चमके या बारिश हो,
जब प्रेम मिलन की ख्वाहिश हो।
जब नयन नयन पर है साधा,
और तन मन धन आधा आधा।
जब सब कुछ तुझ पर वार दिया ,
फिर पूछो ना कितना प्यार किया।
तेरी सुन के मुरलिया झूम उठी,
पद रज की भूमि चूम उठी।
बस आस रहे आलिंगन की,
प्रभु पूजन की, हरिवंदन की।
जिस पल में तुमको ना देखूं ,
उस पल में जीवन क्या देखूं।
जब नैनो को तेरा दर्श मिले,
उस पल हृदय को हर्ष मिले।
हो कुंज गली या वृंदावन,
राहें तकती है धरती गगन।
कब बूंदों से अलंकार करूं,
कब प्रेम युगल श्रृंगार करूं।
अब राधा कृष्ण का है यह मिलन,
देखूं तो झूमे मेरा मन।
प्रेम पुनीत यह छवि तेरी, अद्भुत दिव्य स्वरूप,
आन बसो में मम चित महि लेकर रूप अनूप।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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