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Friday, September 30, 2022

दुर्गा स्तुति स्वरचित

कब आएंगी माँ भवन हमारे ,
आतुर मन से राह निहारें ।

रूप देवी का कितना प्यारा ,
महिमा विदित सकल संसारा ।

माँ के कितने रूप निराले,
रोग  कष्ट सब हरने वाले।

कैसे भक्ति करू कल्याणी ,
किस विधि करूं अरज भवानी।

मैं मूरख नादान पुजारी,
जानू न भेद विधान तुम्हारी।

जन जन के कल्याण हो करती,
हर लो मैया जी कष्ट हमारी।

दरश दिखा कर  कृपा करदो,
सुख समृद्धि से जीवन भरदो।

आएंगे तेरे धाम को माता ,
पूजेंगे मूरत हे भक्त जन त्राता ।

तूने सबकी विपदा टारि,
कब आएं मुझ दीन की बारी।

आठों प्रहर बस देवी गुण गाऊं ,
देवी चरण में शीश नवाऊं।

करूं आरती मात तुम्हारी,
करना क्षमा तुम भूल हमारी।

मंदिर मंदिर तेरे पाव पखारे,
जिह्वा बस तेरा नाम उच्चारे ।

कब आएंगी माँ भवन हमारे,
आतुर मन से राह निहारें ।
                 - स्वरचित अमित पाठक शाकद्वीपी


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