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Tuesday, May 27, 2025

उनके नैना जैसे जादू

उनके नैना जैसे जादू 
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उनके नैना जैसे जादू
सब को मोहे जाए,
झील सरिस हाय इन नैनन में 
मन यूं गोत लगाए।।

जितना देखें उतना सोचें, 
फिर भी समझ न पाए,
सादगी से सुन्दरता को 
देती हाय लजाय।।

मस्तक पर का टीका सुंदर, 
बिंदी वरनी न जाय,
अधरन पर सजी लाली भी 
मन को बड़ा लुभाय।।

कंठन पर सजी मुक्तन की माला, 
क्यों इतना इतराए,
तुने देकर स्पर्श तुम्हारा 
ले लियो अंक लगाए।।

इसी धुन में होकर बेसुध 
चुनरी भी हर्षाए,
तभी तो गोरी लाज के मारे 
दबी दबी मुस्काए।।

– अमित पाठक शाकद्वीपी 




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