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Tuesday, May 27, 2025

उनके नैना जैसे जादू

उनके नैना जैसे जादू 
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उनके नैना जैसे जादू
सब को मोहे जाए,
झील सरिस हाय इन नैनन में 
मन यूं गोत लगाए।।

जितना देखें उतना सोचें, 
फिर भी समझ न पाए,
सादगी से सुन्दरता को 
देती हाय लजाय।।

मस्तक पर का टीका सुंदर, 
बिंदी वरनी न जाय,
अधरन पर सजी लाली भी 
मन को बड़ा लुभाय।।

कंठन पर सजी मुक्तन की माला, 
क्यों इतना इतराए,
तुने देकर स्पर्श तुम्हारा 
ले लियो अंक लगाए।।

इसी धुन में होकर बेसुध 
चुनरी भी हर्षाए,
तभी तो गोरी लाज के मारे 
दबी दबी मुस्काए।।

– अमित पाठक शाकद्वीपी 




Thursday, May 22, 2025

अश्कों की सौगात

कहती हैं माँ जानकी, 
प्रभु को कर के याद ।
स्वामी कब तक राह निहारूं 
कब आओगे नाथ ।।

विधि ने भी क्या भाग्य लिखा है,
नियति देती मात।
नीर समान अश्रु की धारा, 
बहती है दिन रात।।

विरह अनल में तन मन जलते,
मिला है हृदय आघात।
खुशियां बर्फ समान ही जम गई,
अश्कों की बस सौगात।।

प्रेम दरश को व्याकुल अँखियाँ 
चाहें दर्शन खास।
आओ गे निश्चय ही छुड़ाने,
मन में है विश्वास।।

धर्म की हानि और न हो अब,
करो दुष्ट का नाश।
सत्य सनातन सृष्टि कर दो,
भर दो ज्ञान प्रकाश।।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

पिताजी : अब बुलाने पर भी क्यों वो पास आते नहीं?

पिताजी ; अब बुलाने पर भी क्यों वो पास आते नहीं? ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• थाम कर अंगुलियों को चलाते थे ज...