काले काले नागिन जैसे,
ये कुंतल के जाल,
देख के उनको वश में रहना,
प्यारे है मोहाल।।
फुदक फुदक कर चलती है,
ज्यों चले मोरनी चाल,
नैन कटारी, तन सुकुमारी,
गोरे गोरे गाल।।
लगे चांदनी उतरी धरा पर,
करके दिव्य श्रृंगार,
अधरन पर मुस्कान सजाया,
बिंदी सजी लीलार।।
कानों में कुंडल झलकाया,
गल मोतियन के हार,
शोभा ऐसी जाय न बरनी,
कोशिश करूं अपार।।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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