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Tuesday, March 11, 2025

राधा गइले ब्रजवा के ओर

राधा गइले ब्रजवा के ओर 
होलिया खेले कृष्ण लला 
बांधे प्रेम से नेहिया के डोर
होलिया खेले कृष्ण लला।

होलिया खेले कृष्ण लला।
हो होलिया खेले कृष्ण लला।

मारे मारे पिचकारी सराबोर,
होलिया खेले कृष्ण लला।
बांधे प्रेम से नेहिया के डोर
होलिया खेले कृष्ण लला।

रंग गुलाल उड़ावत डोले,
बातन में मधु मिश्री घोले,
देख रंग दिहले अचरा के कोर,
होलिया खेले कृष्ण लला।

होलिया खेले कृष्ण लला।
हो होलिया खेले कृष्ण लला।
राधा गइले ब्रजवा के ओर,
होलिया खेले कृष्ण लला।

बहे प्रेम के हवा चहूं ओर 
होलिया खेले कृष्ण लला।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

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