राधा गइले ब्रजवा के ओर
होलिया खेले कृष्ण लला
बांधे प्रेम से नेहिया के डोर
होलिया खेले कृष्ण लला।
होलिया खेले कृष्ण लला।
हो होलिया खेले कृष्ण लला।
मारे मारे पिचकारी सराबोर,
होलिया खेले कृष्ण लला।
बांधे प्रेम से नेहिया के डोर
होलिया खेले कृष्ण लला।
रंग गुलाल उड़ावत डोले,
बातन में मधु मिश्री घोले,
देख रंग दिहले अचरा के कोर,
होलिया खेले कृष्ण लला।
होलिया खेले कृष्ण लला।
हो होलिया खेले कृष्ण लला।
राधा गइले ब्रजवा के ओर,
होलिया खेले कृष्ण लला।
बहे प्रेम के हवा चहूं ओर
होलिया खेले कृष्ण लला।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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