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Monday, February 24, 2025

बीतते वक्त की क्या कहानी कहूं


बीतते वक्त की क्या कहानी कहूं,
कैसे कटती रही जिंदगानी कहूं।

जो मिला था कभी, पल में ही खो गया,
हाथ जैसे लगा यूं हवा हो गया,
वक्त की मार को हाय कितना सहूं 
आँख से बहने आए हो जैसे लहू।

बीतते वक्त की क्या कहानी कहूं,
कैसे कटती रही जिंदगानी कहूं।

फूल की आस में, बस थे कांटे मिले,
दर्द ही दर्द उनके हवाले मिले,
वो मिले चल पड़े फिर मुंह मोड़ कर,
उनकी ही याद में बस तड़पता रहूं।

बीतते वक्त की क्या कहानी कहूं,
कैसे कटती रही जिंदगानी कहूं।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

मेरे मन के मंदिर में प्रभु

मेरे मन के मंदिर में प्रभु,
आप उमा संग साजो।
अपने गण को, सेवक जन को,
लेकर संग विराजो।।

तन पर स्वामी भस्म रमी हो,
गले सर्प की माला,
मस्तक पर शशि सोहत सुंदर, 
अरु बाघाम्बर छाला।

हाथों में पिनाक लिए प्रभु,
आनन्द मगन हो नाचो। 

मेरे मन के मंदिर में प्रभु,
आप उमा संग साजो।
अपने गण को, सेवक जन को,
लेकर संग विराजो।।

कष्ट हरो महादेव हमारे,
व्याकुल मन तेरा नाम पुकारे,
दया करो हे देव दयामय,
दूर करो दुःख सारे।

अपने तेज तम को हर लो,
बन कर आप सिराजो।

मेरे मन के मंदिर में प्रभु,
आप उमा संग साजो।
अपने गण को, सेवक जन को,
लेकर संग विराजो।।

तेरी मूरत देख प्रभु जी,
मन ही मन मुस्काऊँ,
आठों याम जपूं नमः शिवाय,
सानिध्य तेरा बस चाहूं।

बन कर ऐसी ध्वनि डमरू की,
कानों में बस बाजों ।।

मेरे मन के मंदिर में प्रभु,
आप उमा संग साजो।
अपने गण को, सेवक जन को,
लेकर संग विराजो।।

© अमित पाठक शाकद्वीपी

Saturday, February 15, 2025

कितना छोटा सीधा सादा

कितना छोटा सीधा सादा भोला भाला बच्चा था,
सच कहते हैं लोग कि यारों बस बचपन ही अच्छा था।
भोली भाली प्यारी आँखें, गालों की चमक नूरानी थी,
कहीं किसी एल्बम में बंद यादें ये सुहानी थी।

अपनी छवि कोई पल पल देखूं , देख देख उल्लास करूं,
कजरारे ये नयन नक्स और इन से ही बस नैन भरूं,
देख देख कर बचपन अपना बीती बातें याद करूं,
बड़ा सुहाना था वो जमाना शब्दों में मैं क्या ही कहूं।

तस्वीर हो गई भले पुरानी यादें अब भी ताजा जी,
अब भी अकड़ जस की तस है, माँ का बेटा राजा जी,
जबरन मेरी छवि निकाली कैमरे वाले चाचा जी,
देख के सुंदर छवि सुहानी यादें हो गई ताजा जी।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

प्रेम पथिक की अभिलाषा –(स्वर्णिम दर्पण में प्रकाशित)

थी प्रेम पथिक की ये आशा  कि फिर उनका दीदार हो हो खड़े आमने सामने  बाते भी दो चार हो बीती बातें याद कर  मुस्कुराएं हम दोनों कुछ न...