THANK YOU FOR VISITING

THANK YOU FOR VISITING

Sunday, November 17, 2024

किताबों के प्रकाशन और पुरस्कार समारोहों के नाम पर धोखाधड़ी: बढ़ते खतरे के प्रति जागरूकता की आवश्यकता

आजकल डिजिटल और ऑनलाइन दुनिया में जहां एक ओर नए अवसर उभर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर धोखाधड़ी की गतिविधियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। खासकर किताबों के प्रकाशन, अवॉर्ड समारोहों और अवैध प्रमाणपत्रों के नाम पर धोखाधड़ी के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। यह धोखाधड़ी न केवल लेखकों और पाठकों को बल्कि समाज के अन्य वर्गों को भी अपनी चपेट में ले रही है। डिजिटल युग में प्रकाशन के क्षेत्र में धोखाधड़ी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जहां एक ओर नई किताबों, लेखों और शैक्षिक सामग्री का प्रकाशन करना आसान हो गया है, वहीं दूसरी ओर कई धोखेबाज भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, जो लेखकों, शोधकर्ताओं और अन्य पेशेवरों को ठगने की कोशिश करते हैं। ये धोखाधड़ी के अपराधी न केवल पैसों की धोखाधड़ी करते हैं, बल्कि लेखकों के समय और प्रयासों की भी बर्बादी कर देते हैं। इस लेख में हम इसी बढ़ते खतरे पर चर्चा करेंगे और यह समझेंगे कि किस तरह धोखाधड़ी के इन नए रूपों से बचा जा सकता है।

1. किताबों के नाम पर धोखाधड़ी
हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां नए लेखक या नवोदित लेखक, जिनके पास किताबों के प्रकाशन के बारे में कोई जानकारी नहीं होती, उन्हें धोखाधड़ी के जाल में फंसा लिया जाता है। कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और तथाकथित "प्रकाशन एजेंसियां" लेखक से भारी रकम लेती हैं और उन्हें झूठे वादे करती हैं कि उनकी किताब को राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित किया जाएगा।
                 इन एजेंसियों का तरीका अक्सर यह होता है कि वे लेखक को पहले एक आकर्षक प्रस्ताव देते हैं, जैसे "हम आपकी किताब को प्रमुख प्रकाशन प्लेटफार्मों पर प्रकाशित करेंगे" या "आपकी किताब को बेस्टसेलर बनाने की गारंटी है।" फिर, लेखक से हजारों रुपये की फीस वसूलते हैं, लेकिन न तो किताब प्रकाशित होती है और न ही कोई प्रचार या मार्केटिंग होती है। कई बार लेखक को पता चलता है कि उनकी किताब कभी भी प्रकाशित ही नहीं हुई, और एजेंसी से संपर्क करना भी मुश्किल हो जाता है।

2. अवैध प्रमाणपत्रों और डिग्रियों का कारोबार
धोखाधड़ी करने वाले गिरोह अब अवैध प्रमाणपत्रों और डिग्रियों के माध्यम से भी लोगों को लूटने लगे हैं। कुछ वेबसाइट्स और एजेंसियां "रिसर्च पेपर", "लेखक प्रमाणपत्र", "प्रकाशन प्रमाणपत्र" या "साहित्य पुरस्कार प्रमाणपत्र" बेचने का दावा करती हैं। ये प्रमाणपत्र असल में कोई मान्यता प्राप्त संस्थाओं द्वारा जारी नहीं किए जाते, बल्कि यह एक छलावा होता है।
इन एजेंसियों का एक और तरीका यह है कि वे 'फर्जी डिग्रियां' या 'मान्यता प्राप्त अवार्ड्स' बेचने का वादा करती हैं, ताकि व्यक्ति का करियर एकदम नई ऊंचाइयों तक पहुंच सके। इसके लिए वे हजारों रुपये की फीस लेते हैं और व्यक्ति को यह धोखा देते हैं कि वे किसी प्रतिष्ठित संस्था या यूनिवर्सिटी से यह प्रमाणपत्र प्राप्त कर रहे हैं।

3. फर्जी पुरस्कार समारोहों का आयोजन
साथ ही, कई फर्जी पुरस्कार समारोह भी आयोजित किए जा रहे हैं। इन समारोहों का आयोजन करने वाले लोग यह दावा करते हैं कि वे साहित्य, शिक्षा या कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित करने जा रहे हैं। लेकिन असल में यह सिर्फ एक व्यावसायिक आयोजन होता है जहां आयोजक पहले से तय करते हैं कि कौन व्यक्ति पुरस्कार प्राप्त करेगा।
                     लेखकों, कलाकारों और अन्य पेशेवरों से आयोजक भारी शुल्क वसूलते हैं, और बदले में उन्हें केवल एक पुरस्कार प्रमाणपत्र या ट्रॉफी दी जाती है, जिसका कोई वास्तविक मूल्य नहीं होता। इन आयोजनों के प्रचार में आमतौर पर बड़े नामों का सहारा लिया जाता है, जिससे लोगों को यह विश्वास हो जाता है कि यह एक प्रतिष्ठित समारोह है, जबकि यह सिर्फ एक धोखाधड़ी होती है।

4. कैसे बचें इन धोखाधड़ी से?
अब सवाल यह उठता है कि इन धोखाधड़ी से कैसे बचा जाए। सबसे पहले तो, किसी भी प्रकाशन एजेंसी या पुरस्कार समारोह के लिए भुगतान करने से पहले उसकी पूरी जांच-पड़ताल करें। विश्वसनीय और स्थापित एजेंसियों से ही संपर्क करें और देखें कि उनके पास किस प्रकार के प्रमाण और रिव्यू हैं।

• सत्यापन करें: किसी भी वेबसाइट या एजेंसी का चयन करने से पहले उसके बारे में गहन जानकारी प्राप्त करें। किसी भी प्रकाशन एजेंसी के साथ जुड़ने से पहले उसकी विश्वसनीयता और इतिहास की जांच करें। उनकी सरकार द्वारा प्रदत्त मान्यताओं को जांचें। उनका जीएसटी वेरिफिकेशन करने के बाद ही उनसे जुड़े। सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि एजेंसी या प्लेटफॉर्म का एक स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड है। ऐसे संस्थान जिनकी वेबसाइट पर स्पष्ट जानकारी, कंटैक्ट डिटेल्स और पब्लिशिंग पोर्टफोलियो हो, उन्हें प्राथमिकता दें। अगर कोई एजेंसी या प्लेटफॉर्म आपको बहुत आकर्षक प्रस्ताव देती है, तो सतर्क रहें, क्योंकि यह एक आम धोखाधड़ी की रणनीति हो सकती है।

• समीक्षाओं और अनुभवों को जांचें : जो लोग पहले इन एजेंसियों के साथ काम कर चुके हैं, उनकी समीक्षाओं और अनुभवों को पढ़ें। यह आपको धोखाधड़ी के बारे में सचेत करेगा।

• सुनिश्चित करें कि वह प्लेटफार्म पंजीकृत है : हर प्रतिष्ठित प्रकाशन एजेंसी या प्लेटफार्म के पास सरकारी या उद्योग के मानक प्रमाणपत्र होते हैं। इसके अलावा, ऐसे प्लेटफॉर्म्स या एजेंसियों के पास वेबसाइट पर संपर्क जानकारी, लाइसेंस नंबर, और वैधता की जानकारी होनी चाहिए। किसी भी अनजाने प्लेटफॉर्म या एजेंसी से जुड़ने से पहले उसकी वैधता की जांच करें। अगर कोई एजेंसी या प्लेटफॉर्म यह जानकारी देने से बचता है, तो उससे दूर रहना चाहिए। किसी भी प्रकार के पुरस्कार समारोह या प्रमाणपत्र के लिए सिर्फ प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त संस्थाओं से ही संपर्क करें। इसके अलावा, पुरस्कारों और प्रमाणपत्रों की मान्यता के बारे में भी सटीक जानकारी लें।जब आप किसी एजेंसी के साथ काम करने का निर्णय लें, तो उससे जुड़ी शर्तों और अनुबंधों को ध्यान से पढ़ें। खासकर कॉपीराइट, वितरण अधिकार, और फीस की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। धोखेबाज अक्सर वादा करते हैं कि वे आपकी किताब को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित करेंगे, लेकिन इसके बदले वे आपसे एक भारी रकम वसूलते हैं और बाद में कोई काम नहीं करते। इन धोखाधड़ी से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप किसी भी प्रकार के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले उसके सभी बिंदुओं को समझ लें और जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह लें।

• कानूनी मदद लें: यदि आपको लगता है कि आप धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, तो तत्काल कानूनी कदम उठाएं। साइबर क्राइम और संबंधित अधिकारियों से शिकायत करें। इसके अलावा, किसी कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लेकर आप अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और किसी प्रकार के अनुबंध या धोखाधड़ी से संबंधित समस्याओं को हल कर सकते हैं।

निष्कर्ष:
आजकल धोखाधड़ी के नए रूप सामने आ रहे हैं, और किताबों के प्रकाशन से लेकर पुरस्कार समारोहों तक, हर जगह धोखेबाज सक्रिय हैं। ऐसे में हमें सतर्क रहने की जरूरत है और कोई भी निर्णय लेने से पहले पूरी जानकारी हासिल करनी चाहिए। यदि हम जागरूक होंगे तो हम इन धोखाधड़ी गतिविधियों से बच सकते हैं और अपने प्रयासों को सही दिशा में ले जा सकते हैं। हमें यह समझना होगा कि सच्ची सफलता मेहनत, ईमानदारी और सही मार्गदर्शन से ही प्राप्त होती है, न कि झूठे वादों और धोखाधड़ी के माध्यम से।

#सतर्कता ही सुरक्षा है 
© अमित पाठक शाकद्वीपी 
संस्थापक : साहित्य संगम बुक्स 

No comments:

Post a Comment

पिताजी : अब बुलाने पर भी क्यों वो पास आते नहीं?

पिताजी ; अब बुलाने पर भी क्यों वो पास आते नहीं? ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• थाम कर अंगुलियों को चलाते थे ज...