THANK YOU FOR VISITING

THANK YOU FOR VISITING

Tuesday, October 29, 2024

शीर्षक : अमित प्रीति तुमसे (पंच चामर छंद)

सुना रही घटा सदा, कथा वही सुधा भरे,
कहा नहीं कभी गया, भले प्रवाह थे झरे,
मुझे तुझे इसे उसे, अटूट नेह तुंग से,
उदास नैन बोलते, अनूप मेह भृंग से।

कहो कहां खता हुई, जले सदा हिया यहां,
पुनीत प्रेम की हवा, सदैव ही बहे जहां,
धरा-दिगंत,मेदिनी, प्रभात को निहारती,
करूं तभी सदा तेरी, अखंड प्रेम आरती,

© अमित पाठक शाकद्वीपी

No comments:

Post a Comment

गणपति वंदना

हे सिद्धि बुद्धि सुरपति,  हे सुन्दर समुख शरीर, भजन करूं कर जोड़ मैं,  हे विकट विनायक वीर।। तन पे तेरे दिव्य पीतांबर, जय हो विनाश...