जय शंभू शशि शेखर सुन्दर,
जय नाथ दिगंबर शिव शंकर,
गिरिजा संग तेरा वास प्रभु,
जन जन को दे उल्लास प्रभु।
पर्वत पर डेरा डाले हो,
महादेव बड़े मतवाले हो,
तुम सौम्य कभी और रौद्र कभी,
अद्भुत है तेरा रूप सभी।
प्रभु तन पे राख लपेटे हो,
जग की यह डोर समेटे हो,
यह जग बस तेरी माया है,
यह सृष्टि तूने रचाया है।
हम सब तेरी संतान प्रभु,
कर दो सबका कल्याण प्रभु,
सब माया तृष्णा दूर रहें,
यह जिह्वा बस तेरा नाम कहे।
या मुझे बसा लो संग तेरे,
या संग में मेरे वास करो,
अब शक्ति दो या मुक्ति दो,
प्रभु अंत समय तक भक्ति दो।
इस दास की विनती सुनो गुरुवर,
प्रभु थोड़ी तो दया करो मुझ पर,
किसी रूप में तो स्वीकार करो,
मेरा भी बेड़ा पार करो।
प्रभु नैया मेरी डोल रही,
आ जाओ भंवर से पार करो,
मानो न मानो पर सत्य यही,
इन शब्दों में है जो भी कही।
बिन तेरे कौन सहारा हो,
बस तेरा ही तेरा नजारा हो,
हम हो तो गए तेरे दास प्रभु,
बस आस लगी तू हमारा हो।
सब कुछ तुझको सौप दिया, है सब कुछ तेरे हाथ।
बार बार विनती करूं , प्रभु रोज नवाऊं माथ।।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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