THANK YOU FOR VISITING

THANK YOU FOR VISITING

Wednesday, June 19, 2024

पायल

बड़े अदम से मैं सोने चांदी में बनवाया गया,
किसी खास मौके पर श्रृंगार सा पैरो में सजाया गया,
मेरी घुंगरू की ध्वनि का असर इतना प्रबल था,
मुझसे हर चाल पर ताल से ताल मिलाया गया।

मैंने शोभा निखारी तेरे दोनों पैरों की,
जब जब मुझ पायल को तूझे पहनाया गया,
मौके पर तेरे ब्याह की मैंने खुशी दुगनी सी कर दी,
ससुराल में जब मेरे ही बल पर इतराया गया।

तेरे पी की प्रिय मैं पांव की पायल,
शोर से करती हूं व्याकुल मन को घायल,
थिरक कर मैंने ही सुकून की बौछार की तुम पर,
आशिक सभी मुझ पायल के कायल।

@अमित पाठक शाकद्वीपी 

No comments:

Post a Comment

करुणामयी प्रकृति

करुणामयी प्रकृति तेरे तन को, तेरे मन को,  सिंचे देकर शक्ति, अपनी माँ से कम भी नहीं है,  करुणामयी प्रकृति। प्रातः काल ये हमें जगा...