बड़े अदम से मैं सोने चांदी में बनवाया गया,
किसी खास मौके पर श्रृंगार सा पैरो में सजाया गया,
मेरी घुंगरू की ध्वनि का असर इतना प्रबल था,
मुझसे हर चाल पर ताल से ताल मिलाया गया।
मैंने शोभा निखारी तेरे दोनों पैरों की,
जब जब मुझ पायल को तूझे पहनाया गया,
मौके पर तेरे ब्याह की मैंने खुशी दुगनी सी कर दी,
ससुराल में जब मेरे ही बल पर इतराया गया।
तेरे पी की प्रिय मैं पांव की पायल,
शोर से करती हूं व्याकुल मन को घायल,
थिरक कर मैंने ही सुकून की बौछार की तुम पर,
आशिक सभी मुझ पायल के कायल।
@अमित पाठक शाकद्वीपी
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