शिशु से जो इतना प्यार किया,
हे मातु जगत जननी प्यारी,
तूने जग का उद्धार किया।
शशि मुख की शोभा है सरल सहज,
आंचल में लाड दुलार किया,
अपना सुख न देखा कभी,
सबकुछ तो तूने वार दिया।
है ह्रदय कमल में प्रेम बसा,
तूने ही संवारी मेरी दशा,
मां की ममता में सब सुख है,
सब कष्ट टरे गर कभी कहीं फसा।
पद पंकज की धुली चंदन,
है मात तुम्हारा अभिनंदन,
ज्यों ज्यों कोई संकट रही हम पर,
तो तुम ही बनी थीं दुखभंजन।
अब मातु मुझे बस शक्ति दो,
हर दिन हर पल तेरी भक्ति हो,
भाग्य विधाता बन कर मां,
मेरे संग सदा तेरी हस्ती हो।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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