THANK YOU FOR VISITING

THANK YOU FOR VISITING

Monday, May 20, 2024

हाथों में तेरा हाथ लिए,

हाथों में तेरा हाथ लिए,
मन ही मन मन की बात किए 
सब अपना कह दिया तुमसे,
तुमसे भी सब कुछ जान लिए।

वाणी में कोकिल सी सुन्दरता,
तन पर रति का प्रभाव लिए,
तुम जन्मी ही थी इस वसुधा पे,
शांत सरल स्वभाव लिए।

तुम आन बसी उर के भीतर,
उर्वशी सम ही श्रृंगार किए,
तन मन दोनो की सुंदरता में,
सब सौंप दिया है तुमको प्रिये।

अब तुमसा कौन मिले मुझको,
जब जुड़ गए तुम से तार प्रिये,
तुम सरल सहज ही अव्वल हो,
खुद को जो मेरे साथ किए।

अब रहना बस संग संग मेरे,
जब दुःख के बादल हो घेरे,
सुख दुःख में जो हम साथ न हो,
तो ऐसा जीवन क्या ही जीए।

© अमित पाठक शाकद्वीपी

No comments:

Post a Comment

गणपति वंदना

हे सिद्धि बुद्धि सुरपति,  हे सुन्दर समुख शरीर, भजन करूं कर जोड़ मैं,  हे विकट विनायक वीर।। तन पे तेरे दिव्य पीतांबर, जय हो विनाश...