नील गगन से ह्रदय धरा पर उतरी तुम धीरे मेरे,
नयन नक्श की चुम्बकत्व थे जैसे मुझको घेरे,
नीले रंग के लिबाज़ में नील परी सी लागी,
तेरे नेह के बंधन में बंध कर मेरी किस्मत जागी।
तन मन दोनो की सुंदरता का ऐसा था प्रमाण,
तन तो मेरा मेरे तक था तुझमें बसे थे प्राण,
तेरी पायल तेरा झुमका तेरा रूप श्रृंगार,
देखूं जब जब मैं तुझको सांसे जाऊं हार।
रूप रति सा करके धारण जीवन में तुम आए,
मेरे मन के निर्जन वन में प्रेम के पुष्प खिलाए,
पहली दफा देख के मुझको थे तुम जब मुस्काए,
तब से अब तक घूमूं पल पल मैं तो अब हर्षाए।
बांध अमित को स्नेह के बंधन में ऐसे हुए दीवाने,
अब तो सब कुछ सौंप दिया है तू माने या ना माने।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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