*ईश्वर आराधना*
रटु रट रट राम, राम की ही रट रटु,
नाम सिया राम का ही रटें मन बांवरा।
राम राम लिए नाम आठों प्रहर सुबह शाम,
राम के लिए सब त्यागे धन बांवरा।।
कृष्ण कृष्ण कण कण , कभी सुने कहीं कर्ण,
कृष्ण के ही लीलाओं में मगन मैं सांवरा।
काली कजरारे कृष्ण नैन तेरे काले काले,
इन्हीं के रूप जाल में मन खोता है जरा जरा।।
संग सिया राम के, राधिके भी श्याम के,
देखूं जो कभी छवि तो खुले भाग्य ईश्वरा।
तूने ने लिखी है प्रभु, नियति मेरी सदा,
कहो तेरे सिवा रखूं, किस पे मैं आसरा।।
रूप की सुंदरता का, कोई क्या बखान करें,
जपे अधर नाम तेरा, मन भी है ध्यान धरा।
कोटि कोटि ग्रंथो में महिमा विदित है पर,
फिर भी न जान सकें अमित गुण ये मनोहरा।।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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