नव वर्ष की मंगल बेला
नव वर्ष की मंगल बेला है,
वातावरण पूरा ही रंगीला है,
उल्लास नए नव जीवन का,
आज जीव जगत को मिला है।
कई रूप, कई नामों से,
कई विधियों से, कई भावों से,
जग ने यह पर्व मनाया है,
मन के मंदिर को भक्तो ने,
माता के लिए सजाया है ।
है आज नया आरंभ हुआ,
नव प्राण वायु ने तन को छुआ,
है चारों ओर यूं हरियाली,
जग बगिया के हम सब माली।
अपनी कलियों सी मुस्कान लिए,
हम प्रेम मय भी नाद किए,
मिलकर परिवार और मित्रो संग,
हमने भी त्यौहार के आनंद लिए।
कोई आज गुडी सजाता है,
कोई मां की ज्योत जगाता है,
कोई पर्व उगादी का है जान कर,
घर घर मिठाई बंटवाता है।
हम सब में बस प्रेम रहे,
आज अन्तर्मन बस यही कहे,
तुम भी हर्ष में झूम उठो,
उल्लास की ऐसी पवन बहे।
@ अमित पाठक शाकद्वीपी
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