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Monday, April 15, 2024

खिड़की पर खड़ी मैं


खिड़की पर खड़ी मैं, 
अक्सर राहें तेरी तकती,
प्रियतम मेरे तुम परमेश्वर, 
प्रेम ही मेरी भक्ति।

बांट निहारूं नाम पुकारूं,
तुमसे मेरी है शक्ति,
पतिव्रता स्त्री मैं रहूं तो,
मिले इसी से मुक्ति।

इंतजार में रैना बीते, 
कब आएंगे स्वामी,
मेरे मन का सब तुम जानो,
हे मेरे अंतर्यामी।

मान मेरा इस रिश्ते से है, 
जुड़ी जो तुमसे जाकर,
धन्य धन्य है भाग्य हमारे, 
प्रियवर तुमको पाकर।

आन मिलो सजना जी अब,
सही न जाए जुदाई,
कैसे कहूं कैसे मैंने ?
तुम बिन पल है बिताई।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

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