साहित्यिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में अपना अद्वितीय स्थान स्थापित कर चुकी प्रतिष्ठित संस्था साहित्य संगम बुक्स ने हाल ही में एक अद्वितीय साझा संकलन ‘गुरुचरणाम्बुज’ का प्रकाशन किया है। यह संकलन भारतीय आध्यात्मिक परंपरा और गुरु-शिष्य परंपरा के प्रति श्रद्धा का सजीव प्रतीक है। संकलन में गुरु की महिमा, उनके पदचिन्हों का अनुसरण, और आध्यात्मिक ज्ञान के महत्व को काव्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है।
शीर्षक और विषय वस्तु
‘गुरुचरणाम्बुज’ शीर्षक अपने आप में गहन अर्थ समाहित करता है। संस्कृत भाषा के इस शब्द का तात्पर्य है—गुरु के चरण कमलों की वंदना। इस संकलन में गुरु को परमसत्य के दूत के रूप में चित्रित किया गया है, जिनकी कृपा से साधक अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के आलोक की ओर अग्रसर होता है। संकलन की कविताएं न केवल श्लाघनीय साहित्यिक रचना हैं, बल्कि गहन आध्यात्मिक चेतना का वाहक भी हैं। यह संकलन गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को रेखांकित करते हुए मानव जीवन में आध्यात्मिक मार्गदर्शन के महत्व को उजागर करता है। "यह संकलन भारतीय संस्कृति की मूल आत्मा को संरक्षित और प्रचारित करने का एक सार्थक प्रयास है। गुरु-शिष्य परंपरा का संदेश आज के समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।" इस संकलन के लिए काव्य रचनाओं का संकलन डॉ. कामाक्षी शर्मा ने किया है, जो आध्यात्मिक साहित्य के क्षेत्र में अपनी गहन विद्वता के लिए विख्यात हैं। डॉ. कामाक्षी शर्मा के अनुसार, "गुरुचरणाम्बुज न केवल साहित्यिक कृति है, बल्कि यह एक साधना का माध्यम है, जो पाठकों को आत्मावलोकन और आत्मसाक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करेगा।" संकलन में देशभर के प्रतिष्ठित कवियों, लेखकों और नवोदित रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से योगदान दिया है। सम्मिलित कलमकारों में डॉ. कामाक्षी शर्मा ‘कमल’ , श्रीमती अरुणा अग्रवाल, डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे, सुबोध कुमार कुलश्रेष्ठ, मनीषा शर्मा ‘भारती ’ , डॉ. कनक लता, डॉ. मीनू शर्मा, मीनाक्षी शर्मा, डॉ. अनुराग पाण्डेय, श्री राज कर्ण शारदा, नम्रता प्रितेश जी भंडारी, ऋचा सुधीन्द्र शर्मा, प्रवीण कुमार, श्री निवास यन, तुलसीराम राजस्थानी, पालजी भाई राठौड़ ‘प्रेम’, मनोज मंजुल, नीरज तिवारी हउआ, हरमन सिंह बघेल ‘हरमन’,
कवि बाबू लाल इणखिया, किर्ती काशिनाथ होसुरकर, कृष्णा देवी कारकेल,चंद्रकांत पांडेय, डॉ रश्मि वी बी, डॉ धनंजय शर्मा, आरती दुबे, बलवंत सिंह राणा, अनिल कुमार राज़, डॉ . राजेन्द्र कुमार सैनी, विजय डांगे, सीमा भाटी, रीता तिवारी, प्रगति दत्त, अपर्णा गौरी शर्मा, संध्या गुप्ता, रंजीत कुमार पात्रे, सुरेन्द्र कुमार रात्रे, श्री दिनेश कुमार शर्मा, अरविन्द आचार्य, डॉ. रेखा गौतम, राजीव गिरि जी , शत्रुहन सिंह कंवर, पूजा देशवाल, डॉ . चंद्रशेखर सिंह, डॉ. बी. एल. सैनी जी की लेखनियों से बिखरे हुए जादुई शब्द जब पृष्ठों पर अंकित हुए तो और भी अधिक सुगन्धित और रचनात्मक दृष्टि से परिपूर्ण लगने लगे हैं। सभी कवि कवयित्रियों की इन रचनाओं में वैदिक विचारधारा, भक्ति रस, और आधुनिक दृष्टिकोण का समुचित समन्वय दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त, संकलन में भारतीय दर्शन और साहित्य की प्राचीन परंपरा को समर्पित रचनाओं का समावेश इसे अद्वितीय बनाता है।
पाठकों की प्रतिक्रिया
पाठकों ने कहा, "‘गुरुचरणाम्बुज’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि यह एक मार्गदर्शिका है, जो आत्मिक शांति और आंतरिक विकास का साधन बन सकती है।" प्रकाशन के तुरंत बाद, ‘गुरुचरणाम्बुज’ ने साहित्यिक जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बना ली है। अध्यात्म के साधकों, साहित्य प्रेमियों और सामान्य पाठकों ने इसे समान रूप से सराहा है। अनेक पाठकों का कहना है कि यह संकलन एक गुरु के प्रति उनकी आस्था को और गहन करता है। पाठकों ने ‘गुरुचरणाम्बुज’ को अद्वितीय कृति बताया है। यह संकलन न केवल साहित्यिक प्रेमियों को आनंदित करता है, बल्कि साधकों को आत्म-चिंतन और आत्म-ज्ञान की ओर प्रेरित करता है। कई पाठकों ने इसे गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा को और प्रगाढ़ करने वाला बताया है।
उपलब्धता
‘गुरुचरणाम्बुज’ वर्तमान में ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध है। साहित्य संगम बुक्स ने यह सुनिश्चित किया है कि यह ग्रंथ दूर-दराज के क्षेत्रों तक भी पहुंचे।
निष्कर्ष
गुरुचरणाम्बुज’ न केवल एक साहित्यिक ग्रंथ है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरण का एक माध्यम है। यह संकलन गुरु की महत्ता, उनकी कृपा और जीवन में उनके योगदान को रेखांकित करता है। यह कृति उन सभी के लिए अनिवार्य है, जो जीवन की गहराई और आत्मविकास की यात्रा को समझना चाहते हैं।
‘गुरुचरणाम्बुज’ भारतीय संस्कृति की गहराई और गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता का जीवंत उदाहरण है। यह संकलन केवल साहित्य प्रेमियों के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी के लिए अमूल्य है जो जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने और आत्मिक उत्थान की यात्रा पर चलने के इच्छुक हैं।
- अमित पाठक शाकद्वीपी
समीक्षक
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