धोखाधड़ी संगठनों का सबसे बड़ा असर शिक्षा प्रणाली पर पड़ता है। ये संगठन छात्रों को भ्रमित करते हैं, जिससे वे अपना समय और पैसे बर्बाद करते हैं। कई बार, ये संगठन ऐसे प्रमाण पत्र जारी करते हैं, जिन्हें भविष्य में नौकरी के लिए महत्वपूर्ण मानकर उपयोग किया जाता है, जबकि वास्तव में ये प्रमाण पत्र किसी मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा नहीं दिए गए होते।इ न संगठनों का मुख्य लक्ष्य युवाओं का शोषण करना होता है। वे युवाओं के असुरक्षित भविष्य का फायदा उठाते हैं। प्रतिस्पर्धाओं के नाम पर हजारों रुपये वसूलते हैं, जबकि इनके द्वारा दिए गए पुरस्कारों का कोई मूल्य नहीं होता। कई छात्र अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए इन संगठनों पर निर्भर हो जाते हैं, जो उन्हें निराशा के अलावा कुछ नहीं देते। जब ये संगठन नकली प्रमाण पत्र और पदक वितरित करते हैं, तो समाज में एक गलत संदेश फैलता है कि शिक्षा का कोई मूल्य नहीं है। छात्र समझते हैं कि बिना मेहनत किए भी वे पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं, जो कि एक अत्यंत हानिकारक धारणा है। यह शिक्षा के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
समाज के भिन्न भिन्न अंगो की धोखाधड़ी के खिलाफ भूमिका :–
भारतीय संविधान के अनुसार, धोखाधड़ी और धोखाधड़ी करने वाले संगठनों के खिलाफ कड़े कानून हैं। लेकिन इन संगठनों का पता लगाना और उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना कराना चुनौतीपूर्ण होता है। अक्सर ये संगठन अपने पते और पहचान को छिपाने में सफल हो जाते हैं। धोखाधड़ी से बचने के लिए कुछ निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए।
- जागरूकता फैलाना : युवाओं और अभिभावकों को इन संगठनों के बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्हें समझाना चाहिए कि बिना मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र और पदक का कोई मूल्य नहीं होता।
- सरकारी सहायता : सरकार को चाहिए कि वह ऐसे संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कानून लागू करें।
- शिक्षण संस्थानों की भूमिका : शिक्षण संस्थानों को भी ऐसे संगठनों के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए, ताकि छात्र सही जानकारी प्राप्त कर सकें।
- समुदाय की भागीदारी : समुदाय के सदस्यों को भी इन धोखाधड़ी संगठनों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और एकजुट होकर इनका सामना करना चाहिए।