तन श्यामल विमल विनीत विभो,
संग में गिरजा अती प्रसन्न प्रभो।
जय देव दयालु उमा शंकर,
प्रभु वास करें कंकड़ कंकड़।।
जब शिवा शिवानी संग रहे,
उसे पल की उपमा क्या ही कहें?
देवी के मुख की आभा सुंदर,
अद्भुत छवि में भोले शंकर।।
माथे त्रिपुंड चंदन सोहे,
और शीश शशि मेरो मन मोहे।
आनंद के पल देखूं पल पल,
दर्शन से हो जीवन ये सफल।।
जैसे नंदी को स्थान दिया,
विषधर को जैसा मान दिया।
हे शंभू महेश दिनेश सुनो,
मुझको भी अपना भक्त चुनो।।
जग मात पिता सम दोनों विभु,
बस दरश करूं अब कुछ ना कहूं।
जब दिव्य रूप देखूं इनका,
तब कष्ट मिटे मेरे तन मन का।।
गर त्रुटि रही तो क्षमा करना,
स्वीकार करो बालक अपना।
शब्दों में मैं व्याख्यान करूं,
हर हर महादेव गुणगान करूं।।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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