मां शारदे
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श्वेत हंस पर कर के सवारी आन पड़ो मां देवी दुलारी,
कब से तेरी राह तकूं मैं दर्श मिले तो भाग्य हमारी।
बाएं कर में वीणा सोहे , दाएं में मुक्तन की माला,
ज्ञान अमृत का पान करा दो तब तो मिटे अज्ञान की हाला।
श्वेतांबर में ललित छवि सुन्दर,
मुख की ज्योति बढ़े निरंतर।
ज्ञान क्रिया की देवी दयाला,
भक्तों को वर देती निराला।
मां रुप की तुलना नहीं है,
अनुपम शोभा इतनी प्यारी ।।
श्वेत हंस पर कर के सवारी आन पड़ो मां देवी दुलारी,
कब से तेरी राह तकूं मैं दर्श मिले तो भाग्य हमारी।
© अमित पाठक शाकद्वीपी
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