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Wednesday, February 15, 2023

रंगो से रंजिश


किस रंग में रंगे खुद को
सब बेरंग हो गए
बदलता रंग देखा उनका
हम दंग हो गए

रंग लाल मेरे पसन्द का
बस मलाल दे गया
लिबास लाल ही तो था
उन्हें कोई और ले गया

पीले रंग पर भी कहो 
क्या सवाल करूं ?
हल्दी की रस्म या 
दिल पर चोट की बात करूं 

हरा रंग भी अब 
हमें कहां भाता है ?
हराया किस्मत ने हमें 
ये याद दिलाता है

रंग हसीन सारे ही खो गए
रंग असलियत का देख कर गमगीन हो गए
समझाया खुद को बोहोत अकेले में
भीड़ में हम भी रंगीन हो गए

हर रंग से शिकायत है
हर रंग में है मस्ती प्रीत की
रंगा है जो खुद को नए रंग में तो समझा
विफलता के रंग के आगे है गुलाल भी जीत की
            – अमित पाठक शाकद्वीपी 

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