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Tuesday, November 29, 2022

सरलता – काव्यांश संकलन में प्रकाशित

बड़ी सीधी सरल बड़ी सच्ची थी
मेरी कल्पना वास्तविकता से अच्छी थी

हमने सोचा था सबकुछ जैसे का तैसा हो
मगर सब पूछे जाते है जब पास पैसा हो

न चाहत न आरजू न तमन्ना किसी की
ज़िंदगी थी बेपरवाह जैसे धारा नदी की

मगर जीवन में सबकुछ सरल नहीं होता
कुछ ऐसी भी मुश्किलें होती है जिनका हल नहीं होता
कुछ लोग बस कर्म में है लगे हुए 
उनकी परिश्रम के लायक कोई फल नहीं होता

मैं किसी की सादगी पर कोई सवाल नहीं करता
लोग हद से ज्यादा भी सीधे मिले तो बवाल नहीं करता

कोई पूछे गर मेरी सरलता का राज , मुस्कुराता हूं
मैं अपने इस गुण को अनुवांशिक बताता हूं
सादगी ये जो मेरे चहरे पे छाई है
सुनो मेरा चहरा मेरे पापा की परछाई है 
उनकी छाया ही है छवि मेरी
सब सौगात है उनकी कुछ नहीं मेरी कमाई है 

सरल शब्दों में कुछ लोग बड़ी बात करते हैं
कुछ लोग कठोर बन किसी की सरलता पर घात करते हैं

कहीं सरलता कई आयाम गढ़ रहा है
कहीं ऐसी भी नौबत है अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है

सभी कहते हैं खुद को सरल सादा
मगर कहीं दिखावे की प्रवृति है , कहीं है दंभ ही ज्यादा

हो जैसे भी उसी में अव्वल बनो
दरिया आग का नहीं तुम पानी सा तरल बनो
कई लोग है क्रूर दुनिया में
नसीहत ये रहेगी मेरी तुम बस सरल बनो , तुम बस सरल बनो 
               – अमित पाठक शाकद्वीपी स्वरचित 

Sunday, November 27, 2022

एक ख्वाहिश

एक ख्वाहिश थी कि कहीं का कोई अधिकारी होता
मैं भी किसी दफ़्तर में बाबू सरकारी होता

सरकारी वर्दी में अपने तन पर भी निखार होता
होता कितना अच्छा अगर ये सपना साकार होता

कोशिशें हमने भी की पर हर बार विफल रहे
अब नाकामियाबी में बस उम्र ढल रहे

जिनकी नजरो में थे सितारे कभी हम
आज उन्ही को बोहोत खल रहे

है रास्ता कितना लम्बा मेरी मंजिल कब आएगी ?
सालो से बस चल रहें सो चल रहें 

ये भी हकीकत है कि योग्यता कम नहीं अपनी
कभी किस्मत से तो कभी सरकारी तरीकों पर भी है ठनी

पर कारण कोई भी फिर से ख़्वाब सजाया जायेगा
सच करने को सपने सारे फिर जोर लगाया जायेगा

तुम भी देखना गौर से उस उड़ान को
समाज में अपनी एक नई पहचान को

पी लो सारे गरल अपमान के 
चलो उठो और लगो फिर से कुछ ठान के

तेरी परिश्रम ही तेरी इस रण में सारथी होगी
बन कर आओ अधिकारी फिर खुले मन से तेरी आरती होगी
             – अमित पाठक शाकद्वीपी 
 

उनके नैना जैसे जादू

उनके नैना जैसे जादू  ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• उनके नैना जैसे जादू , सब   को मोहे जाए, झील सरिस हाय इन नैनन में ...