हे गुरुवर शत शत वंदन
ज्ञान का दीप जलाकर आपने
किया अज्ञान तिमिर खंडन
हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन
भेद बताया सही गलत का
राह दिखाते हैं मंजिल का
देवो से बढ़कर उपमा है
कहता है ये अंतर्मन
हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन
सारी पृथ्वी कागज कर दूं
सारे वृक्ष की लेखनी कर दूं
स्याही कर दूं सारे सागर
महिमा का फिर भी हो ना वर्णन
हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन
मृदुभाषी स्वभाव सरल है
सादा जीवन प्रेम का मन
मुख से बहती ज्ञान की गंगा
उन चरणों को कोटि नमन
हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन
– स्वरचित अमित पाठक शाकद्वीपी
फुसरो, बोकारो, झारखण्ड
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