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Sunday, September 4, 2022

हे गुरुवर शत शत वंदन

हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन
ज्ञान का दीप जलाकर आपने
किया अज्ञान तिमिर खंडन

हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन

भेद बताया सही गलत का
राह दिखाते हैं मंजिल का
देवो से बढ़कर उपमा है
कहता है ये अंतर्मन

हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन

सारी पृथ्वी कागज कर दूं
सारे वृक्ष की लेखनी कर दूं
स्याही कर दूं सारे सागर
महिमा का फिर भी हो ना वर्णन 

हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन

मृदुभाषी स्वभाव सरल है
सादा जीवन प्रेम का मन 
मुख से बहती ज्ञान की गंगा
उन चरणों को कोटि नमन 

हे गुरुवर शत शत वंदन
हे गुरुवर शत शत वंदन

      – स्वरचित अमित पाठक शाकद्वीपी
         फुसरो, बोकारो, झारखण्ड 


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