उनके जैसा न दूसरा देवता कोई महान है
धारण किया है जिसने मस्तक पर चन्द्र को
रखा है अपने भीतर ही सौम्यता और क्रोध को
सारी सृष्टि जिनके तांडव से भयभीत है
वास्तव में शिव जी के जैसा न कोई मित है
धार कर त्रिशूल जग का भार वहन कर रहें
दैत्य दुष्ट प्राणियों का नित्य दमन कर रहें
महादेव की महिमा अगम आपार है
भस्म श्रृंगार भूषण है नाग गले का हार है
तीनो लोको के स्वामी सबको साथ ले कर चल रहे
शब्दो से परे है गुणगान उनकी उपमा ही क्या करे
जगत्पिता है वो सबके हम सब उनकी सन्तान है
आत्मा है विष्णु रूप और शिव रूप प्राण है
न्याय के देवता शनि और यमराज उनके दूत है
है लीन कभी समाधी में तो कभी अत्यंत रूद्र है
महाकाल के शरण में आकर हर भक्त इनका मस्त है
महा मृत्युजंय मन्त्र से कट जाता हर कष्ट है
जाप उनके नाम का तार देता भक्तों को
नत्मस्तक हो नमन है मेरा भोले को
पी लिया गरल को जो देवताओं पर आँच थी
कुछ नहीं रखा है स्वयं के लिए , सारी चीजें बाँट दी
माता पार्वती से जिनको अनन्य प्रेम है
ब्रह्मांड के है नायक प्रभु तो देवो के भी देव है
महाकाल की वन्दना मैं नित्य प्रति दिन करूँ
हो मोक्ष जी जो कामना तो नमः शिवाय ध्यान धरूँ
शब्द शब्द इस काव्य का शिव को अर्पण है
कर्म जो भी कर रहा हूँ भोले का समर्थन है
🕉️ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव 🙏
- ✍️ अमित पाठक शाकद्वीपी
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