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Wednesday, July 27, 2022

सोचता हूं बाद मेरे

सोचता हूं बाद मेरे वो शख्स कितना रोएगा
जागेगा सारी रात उस रात कैसे सोएगा 
याद करेगा लम्हें जो बीते होंगे साथ में
जज़्बात को करेगा जाहिर या आंसुओं से धोएगा 
सोचता हूं बाद मेरे वो शख्स कितना रोएगा

कैसे सहेजा राख से अस्थियों को
चिता को साफ करके कैसे तुलसी बोएगा 
खो तो दिया मुझे और क्या क्या खोएगा
सोचता हूं बाद मेरे वो शख्स कितना रोएगा

क्या होगी भी कोई निशानी मेरी उसके हाथ में
देख कर तस्वीर कैसे अपना आपा खोएगा
कहेगा कैसे बात की अकेलापन सा लगता है
खुद ही खुद में इन यादों का भार कैसे ढोएगा
सोचता हूं बाद मेरे वो शख्स कितना रोएगा
       – अमित पाठक शाकद्वीपी 

Tuesday, July 12, 2022

भोलेनाथ वन्दना

काल जिनके वश में है ये उनका आह्वान है
उनके जैसा न दूसरा देवता कोई महान है

धारण किया है जिसने मस्तक पर चन्द्र को
रखा है अपने भीतर ही सौम्यता और क्रोध को

सारी सृष्टि जिनके तांडव से भयभीत है
वास्तव में शिव जी के जैसा न कोई मित है

धार कर त्रिशूल जग का भार वहन कर रहें
दैत्य दुष्ट प्राणियों का नित्य दमन कर रहें

महादेव की महिमा अगम आपार है
भस्म श्रृंगार भूषण है नाग गले का हार है

तीनो लोको के स्वामी सबको साथ ले कर चल रहे
शब्दो से परे है गुणगान उनकी उपमा ही क्या करे

जगत्पिता है वो सबके हम सब उनकी सन्तान है
आत्मा है विष्णु रूप और शिव रूप प्राण है

न्याय के देवता शनि और यमराज उनके दूत है
है लीन कभी समाधी में तो कभी अत्यंत रूद्र है

महाकाल के शरण में आकर हर भक्त इनका मस्त है
महा मृत्युजंय मन्त्र से कट जाता हर कष्ट है

जाप उनके नाम का तार देता भक्तों को
नत्मस्तक हो नमन है मेरा भोले को

पी लिया गरल को जो देवताओं पर आँच थी
कुछ नहीं रखा है स्वयं के लिए , सारी चीजें बाँट दी

माता पार्वती से जिनको अनन्य प्रेम है 
ब्रह्मांड के है नायक प्रभु तो देवो के भी देव है

महाकाल की वन्दना मैं नित्य प्रति दिन करूँ
हो मोक्ष जी जो कामना तो नमः शिवाय ध्यान धरूँ

शब्द शब्द इस काव्य का शिव को अर्पण है
कर्म जो भी कर रहा हूँ भोले का समर्थन है 

🕉️ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव 🙏
             -  ✍️ अमित पाठक शाकद्वीपी



प्रेम पथिक की अभिलाषा –(स्वर्णिम दर्पण में प्रकाशित)

थी प्रेम पथिक की ये आशा  कि फिर उनका दीदार हो हो खड़े आमने सामने  बाते भी दो चार हो बीती बातें याद कर  मुस्कुराएं हम दोनों कुछ न...