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Sunday, June 5, 2022

कब दर्शन दोगे गिरधारी , ढूंढ रही तुझे नयन हमारी

कब दर्शन दोगे गिरधारी ।
ढूंढ रही तुझे नयन हमारी ।।
राम रूप में यह जग तारा ।
प्रेम बरसाई बन कृष्ण मुरारी ।। १ ।।

विष्णु के अवतार निराले ।
रोग  कष्ट सब हरने वाले ।।
कैसे भक्ति करू बनवारी ।
किस विधि करू अरज तिहारी ।। २ ।।

मैं मूरख नादान पुजारी । 
जानू न भेद विधान तुम्हारी ।।
जन जन के कल्याण हो करते ।
हर लो प्रभु जी कष्ट हमारी ।। ३ ।।

दरस दिखा कर  कृपा करदो । 
सुख समृद्धि से जीवन भरदो ।।
आएंगे तेरे धाम को स्वामी ।
पूजेंगे मूरत हे अन्तर्यामी ।। ४ ।।

तूने सबकी विपदा टारि ।
कब आएं मुझ दीन की बारी ।।
कब दर्शन दोगे गिरधारी ।
ढूंढ रही तुझे नयन हमारी ।। ५  ।।
                 - स्वरचित अमित पाठक शाकद्वीपी
                          साहित्य संगम बुक्स 


4 comments:

  1. Replies
    1. आभार आपका और दण्डवत प्रणाम 🙏

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  2. अति उत्तम भक्ति गीत आगे भी आप की कलम से इसी प्रकार की अन्य गीत भी प्रभाव में हो।

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