ढूंढ रही तुझे नयन हमारी ।।
राम रूप में यह जग तारा ।
प्रेम बरसाई बन कृष्ण मुरारी ।। १ ।।
विष्णु के अवतार निराले ।
रोग कष्ट सब हरने वाले ।।
कैसे भक्ति करू बनवारी ।
किस विधि करू अरज तिहारी ।। २ ।।
मैं मूरख नादान पुजारी ।
जानू न भेद विधान तुम्हारी ।।
जन जन के कल्याण हो करते ।
हर लो प्रभु जी कष्ट हमारी ।। ३ ।।
दरस दिखा कर कृपा करदो ।
सुख समृद्धि से जीवन भरदो ।।
आएंगे तेरे धाम को स्वामी ।
पूजेंगे मूरत हे अन्तर्यामी ।। ४ ।।
तूने सबकी विपदा टारि ।
कब आएं मुझ दीन की बारी ।।
कब दर्शन दोगे गिरधारी ।
ढूंढ रही तुझे नयन हमारी ।। ५ ।।
- स्वरचित अमित पाठक शाकद्वीपी
साहित्य संगम बुक्स
Ati sundar rachna
ReplyDeleteआभार आपका और दण्डवत प्रणाम 🙏
Deleteअति उत्तम भक्ति गीत आगे भी आप की कलम से इसी प्रकार की अन्य गीत भी प्रभाव में हो।
ReplyDeleteअवश्य
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