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Friday, May 20, 2022

बदलता स्वभाव

उम्मीद जगा कर
बोहोत गहरा वार करते हो
पहली बार है या 
हरबार करते हो

हो गई नादानी 
अब सुधार कैसे हो
हमको बुरा बना दिया 
तुम तो अब भी वैसे हो 

थोड़ी रियायतें भी जरुरी हैं
जब साथ चाहते हो
क्यों लोगों को भला 
बस कामगार समझतें हो

लोग जुड़ते है आपसे 
तो विश्वास जानकर
काम हो जाने पर 
क्यों रंग बदलते हो ?

दिखतें हो फोटो विडियो में 
बड़े सीधे सरल यूँ
गुस्सा बेवजह क्यों
फिर रखते हो ?

बात से ज्यादा 
हमे लहजा पसन्द है
कड़वे शब्द भी 
शालीनता से कहिये
बोलते हो तो लगता है 
आग उगलते हो 

छवि धूमिल हो रही है आपकी
परिष्करण जरूरी है 
कुछ बड़ा हासिल नहीं किया है
अभी भी उड़ान में दुरी है 
 

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