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Saturday, April 9, 2022

श्री राम चरित

हैं देवो के भी वन्दनीय , विष्णु के अवतार हैं,
उनकी कृपा प्रभाव से टिका हुआ संसार है ।

दशरथ नन्दन के भाल पर चन्दन शोभायमान है,
दसों दिशाओं में हो रहा उनका ही गुणगान है ।

हर लिए जिनके चरण कमल ने शिला के विपत्ति घाव को,
शब्दों में लिखना कठिन है  मेरे राम के स्वभाव को ।

जटायु पक्षिराज उनका नाम ले कर तर गया,
थी भक्ति भावना प्रबल जो प्राण तक न्यौछावर किया ।

कर में धनुष धार कर अनेक शत्रु संहार किए,
मुनियों की यज्ञ की रक्षा में सिंहासन भी वार दिए ।

पिता के वचन के लिए था राज पाट त्याग दिया,
वचन की क्या महत्ता है जग को ऐसा आभास दिया ।

मृदुभाषी सरलतम मन में न कोई द्वेष था,
निकल पड़े जो वन में तो वनवासीयों सा ही भेष था ।

जाति भेद है गलत उनकी सबसे पहली यही सिख रही,
शबरी के प्रेम भाव वश थे जूठे बेर तक चखी ।

आनन्द विनोद था न वन में केवल विषाद था,
गंगा पार कराने को उनको खड़ा एक निषाद था ।

वनचर के बीच रहे तो नियति भी कठोर रही,
मृग की माया के कारण माता सीता खो गई ।

था एक अहंकारी ने माता सीता को हर लिया,
विपदा के ऐसे पल में कपियों ने बड़ा साथ दिया ।

अंततः विजय हुई सबके सहयोग से,
सीता को पुनः पा लिया अनन्य प्रेम योग से

विश्व के आधार ऐसे मेरे श्री राम है,
मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से धन्य धरती धाम है ।

जगत के तम को हर ले ऐसे दिवाकर है वो,
क्षमा करना हे नाथ तुम हुई जो कोई भूल हो।

       -: श्री राम चरण को समर्पित :-
           - ✍️ अमित पाठक शाकद्वीपी

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