पिता का साया
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*कैसे लिखोगे शब्दो में पिता के अभाव को*
*कोई मरहम नहीं है जो भर दे इस घाव को*
*सहोगे जो अकेले जिम्मेदारियों के बोझ को*
*शायद तब समझ सको पिता के प्रभाव को*
*याद आने पर छलकेंगे आँसू स्वतः ही*
*उन बिन कौन खेवेगा जीवन नाव को*
*व्यथा अपनी अपने आप में सहते हैं*
*तुम कैसे बर्दाश्त करोगे समाज के दबाव को*
*जाने पर उनकी होगी तस्वीर का तो सहारा*
*पर तरसोगे मुझ सा उनकी आवाज को*
*सामने भाई बहन माँ को दोगे हौसला*
*पर अकेले में करोगे प्रार्थना भगवान से*
*कि प्रभु ऐसा कभी भी न किसी के साथ हो*
*रहे उम्र भर 'पिता का साया' सब पर*
*पिता को भी पुत्र पर हमेशा विश्वास हो*
*- अमित पाठक शाकद्वीपी*
*(बोकारो , झारखण्ड)*
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