हे सुन्दर समुख शरीर,
भजन करूं कर जोड़ मैं,
हे विकट विनायक वीर।।
तन पे तेरे दिव्य पीतांबर,
जय हो विनाशक, जय लम्बोदर,
हर लो मेरी पीर, जय हो गजानन धीर,
प्रभु जी हरलो मेरी पीर।।
भाल चन्द्र विघ्नेश कहाते,
सर्वप्रथम तुम पूजे जाते
प्रिय है तुझको दूर्वा के दल,
बाधा सबके करते हो हल।।
कोई तुझसे पार न पाए,
बुद्धि विवेक तुझी से आए,
भजन तेरा बड़ा सुखदाई,
सज्जन के तुम सदा सहाई।
मोदक लड्डू भोग तुम्हारा,
पान पुष्प लगे है प्यारा,
एकदंत के भाल पे चंदन,
वक्रतुंड गौरी के नंदन।
आदि देव गुणों के स्वामी,
करो कृपा प्रभु अंतर्यामी,
दास अमित की सुन लो अर्जी,
देना न देना आपकी मर्जी।
शीश झुका कर नमन करूं मैं,
करना प्रभु स्वीकार,
दास अमित यूं तेरे चरण में,
झुकता बारंबार।
– अमित पाठक शाकद्वीपी
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