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Friday, November 29, 2024

साहित्य संगम बुक्स के "मैं भी कलमकार मंच" का दैनिक लेखन कार्यक्रम

साहित्य संगम बुक्स के "मैं भी कलमकार मंच" का दैनिक लेखन कार्यक्रम
साहित्य संगम बुक्स की ओर से "मैं भी कलमकार मंच" द्वारा दिनांक 28.11.2024, गुरुवार को आयोजित दैनिक लेखन गतिविधि ने एक बार फिर साहित्य प्रेमियों को अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने का अनूठा अवसर प्रदान किया। इस मंच का उद्देश्य लेखकों को उनके लेखन कौशल को निखारने और साहित्यिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना है। ऐसे में मंच के संचालक श्री अमित पाठक शाकद्वीपी जी और सह संचालक आदरणीया वर्षा शिवांशिका जी एवं आदरणीया श्रीमती संध्या गुप्ता जी की ओर से दैनिक क्रिया कलाप के अंतर्गत विषय आधारित सृजन श्रृंखला पर बल दिया गया और दिसंबर के आगमन का स्वागत बड़े काव्यात्मक रूप से किया।

दैनिक गतिविधि की रूपरेखा कुछ इस प्रकार की रही –
इस बार का क्रिया कलाप विषय आधारित सृजन के तहत आयोजित किया गया।
• प्रदत्त विषय – दिसंबर का महीना
• शैली – पद्य
• शब्द सीमा – 8 से 20 पंक्तियाँ
• समय सीमा – रात्रि 12 बजे तक
इस विशेष कार्यक्रम में मंच के सभी सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतिभागियों ने अपने-अपने अनूठे दृष्टिकोण से "दिसंबर का महीना" विषय को प्रस्तुत करते हुए इस सर्दी के मौसम, त्योहारों और विदाई के भावनात्मक पलों को शब्दों में ढाला। एक से बढ़ कर एक रचनाएं प्रेषित की गई। मंच ने लेखकों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर लेखन करने का मौका दिया, जिससे लेखन के अनुशासन और रचनात्मकता का अद्भुत मेल देखने को मिला। सभी प्रतिभागियों को यह निर्देश दिया गया कि वे अपने विचारों को पद्य शैली में व्यक्त करें और विषय से संबंधित भावनाओं को सुंदरता से प्रस्तुत करें।

प्रशस्ति पत्र से प्रोत्साहन –
मंच प्रतिदिन अपने पटल पर ऐसे आयोजन करता है और दैनिक गतिविधि में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले लेखकों को अगले दिन प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाते हैं। यह न केवल प्रतिभागियों के उत्साह को बढ़ाने का एक प्रयास है, बल्कि लेखन की गुणवत्ता को निखारने और अन्य सदस्यों को प्रेरित करने का एक सराहनीय कदम भी है। दिनांक 28.11.2024 के क्रिया कलाप के लिए भी श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कलमकारों को प्रशस्ति पत्रक दे कर उनका अभिनंदन किया गया। श्रेष्ठ सृजन के लिए सम्मान पत्र प्राप्त करने वालों में श्री लोकेश कौशिक जी, श्री रघु पालीवाल जी, श्री बी. एल. सैनी जी, श्री एच. सी. विपिन कुमार जैन जी,  श्री सुशील चंद्र बाजपेयी जी, श्री बलवंत सिंह राणा जी, श्री राज शारदा जी, श्रीमती मोनिका डागा आनंद जी, श्रीमती वर्षा जैन जी, श्री देवकीनंदन टेलर जी, श्री बसंत कुमार ‘ऋतुराज’ जी, श्री ललित महालकरी जी, श्रीमती आरती पाण्डेय जी, श्री अजय सरजोशी जी, श्रीमती विभूति सिंह ‘विख्यात’ जी, श्रीमती नीरजा वर्मा जी, श्री रामपति मौर्य जी, श्रीमती पुष्पलता जी, डॉक्टर लूनेश कुमार वर्मा जी, सूबेदार राम स्वरूप कुशवाह जी, श्रीमती प्रमिला सैनी जी, श्रीमती दीपा विरमानी जी, श्रीमती आभा गुप्ता जी, श्रीमती अंजू पाण्डेय जी, डॉक्टर शरीफ़ खान जी, संचालक श्री अमित पाठक शाकद्वीपी जी और सह संचालक आदरणीया वर्षा शिवांशिका जी ने काव्यात्मक प्रस्तुति दी।

मंच का संदेश –
मंच ने सभी प्रतिभागियों "लिखते रहिए, सीखते रहिए।"को संदेश दिया। यह मंच लेखन को एक सतत सीखने की प्रक्रिया मानता है और लेखकों को अपने विचारों को निखारने के लिए हर दिन नया अवसर प्रदान करता है। 

संपर्क जानकारी
साहित्य संगम बुक्स का यह मंच लेखकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट पर अवश्य जाएं। 


सादर,
अमित पाठक शाकद्वीपी 
www.Sahityasangambooks.in

Monday, November 25, 2024

प्रियवर तेरी याद : यमक अलंकार युक्त सृजन


प्रियवर तेरी याद में कैसे अश्क बहाए,
अन्तर मन की पीड़ा का अंतर पल पल बढ़ता जाए।

ओढ चांदनी दिव्य गगन तल बैठी हूं मुस्काए,
मेरा भी सजना संवरना सजना जी को भाए,
मेरे मन का मनका तो बस उनके नाम से फेरूं,
सारे अंक प्रेम में दे कर अंकों में ही घेरूं।

मंद मंद बस छवि निहारूं उनके मुख का पानी,
इस पानी से प्यास बुझे न कैसी ये परेशानी,
जैसे जल बिन मछली तड़पे वैसी जलन बस पाऊं,
हाय विरह के अंग अंग से व्यर्थ ही जोड़े जाऊं।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

श्री मदन मुरारी कृष्ण

उनके मुख की ज्योति जस ज्योति, अनुपम रूप क्या उपमा होती। उनका पानी जैसे पानी, मंद मृदुल मुस्कान सुहानी। वाणी जैसे शहद अधर पर, सुनना चाहूं ठहर...