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Monday, April 1, 2024

सुन्दर रूप मनोहर

काली कजरारी सी नागिन लटें तेरी,
जो बांध ले पिया को इन्हीं नागफांस में,
नयन सरोवर जी में बह गयो चैन बैन,
सोचे मन मैं न बहुँ आए नहीं पास में।

गोरे तोरे रूप रंग और लालीमा के संग,
ऐसे जैसे रक्ताभ सूरज की फैली प्रकाश है,
होड़ जहां कितने है पश्चिमी वेश भूषा प्रति,
ऐसे में तू पारंपरिक परिधान में भी खास है।

कान की ये बाली तेरी स्वर्ण सितार कोई,
क्षण क्षण बाजे तो मृदु ध्वनि का विकास है,
देखे कोई तुझको को तो थाम लेवे ह्रदय को,
तेरी छवि दर्शन का ऐसा उल्लास है।

और क्या कहूं मैं भला करूं क्या तारीफ़ तेरी,
तेरी ही सुंदरता पे सब कुछ वार दिया,
लूट गए कई जानें कितने ही महारथी,
रूप की सुंदरता का कुछ ऐसा इतिहास है।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

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