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हर मुख पर जय घोष प्रबल है,
हर हाथ भगवा लहराता है,
किए कितने संघर्ष जतन थे,
सब याद दिलाता जाता है,
सारे घाव पे मरहम जैसा राहत ये पहुंचाता है,
एक स्वर में श्री राम का नारा जब कानो में आता है।
श्यामल विमल स्वरूप मनोहर,
मेघवर्ण पीतांबर तन पर,
देख रूप की अद्भुत शोभा,
मन हरता सा जाता है
सारे घाव पे मरहम जैसा राहत ये पहुंचाता है,
एक स्वर में श्री राम का नारा जब कानो में आता है।
राम नाम से जीवन अपना,
अयोध्या धाम का सुंदर सपना,
राम नाम की अगणित महिमा
ग्रंथ यही बतलाता है,
सारे घाव पे मरहम जैसा राहत ये पहुंचाता है,
एक स्वर में श्री राम का नारा जब कानो में आता है।
– अमित पाठक शाकद्वीपी
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