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Monday, August 28, 2023

पछतावा

थे अरमान दिल के हम भी रेस में अव्वल रहे
मगर न जानें कब रास्ता बदल गया ।
बड़ी मुश्किल से हासिल की थी एक अच्छी सख्शियत  अपनी
उम्र के एक दौर ने वो रूतबा निगल लिया।।

ख्वाहिशें हाथ से रेत की तरह पिछली
कुछ भी न ठहरा सारा ही निकल गया।
न तपीस है न उजाला ही है जीवन में
मेरे हिस्से का तो मानो सूरज ही ढल गया।।

बड़े लोगो में गिनती होती है उनकी
उनको देखकर जो खुद को देखा मेरा दिल दहल गया।
सड़क पर उनको आते देखा तो
मैं खुद ही खुद राह बदल कर निकल गया।।

अब न आरजू है न तमन्ना है कोई
अमित गिरते गिरते पर संभल गया।
समझो सबको सबकुछ नहीं मिलता 
मेरी किस्मत में विधि का ऐसा ही कलम चल गया।।
                        – अमित पाठक शाकद्वीपी 


Sunday, August 20, 2023

गणेश वंदना



गणेश वंदना
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जय गणपति जय गिरिजा नंदन,
मूषक वाहन असुर निकंदन,
वक्रतुंड शुचि सूंड सुहावन,
मंगल मूर्ति जय पाप नशावन।

जय गणेश जय जय गणनायक,
आदि देव जय सब सुख दायक,
भाल चंद्र जय जय गजकर्णक,
सुमुख सुरेश जय विघ्न विनाशक।

दुर्वा दल श्रृंगार तुम्हारा,
पान फूल लगे कितना प्यारा,
एकदंत दयावंत कहाते,
विकट विनायक सबके मन भाते।

जय जय हे सिद्धि बुद्धि के दाता,
जय महेश जय पार्वती माता,
सुंदर शोभा अद्भुत तन की
आन हरो अब विपदा जन की।

देते सबको वर मन अभिलाषित,
तुमसे सृष्टि है परिभाषित,
शब्द शब्द मैं महिमा गाऊं,
चरण कमल में भाव चढ़ाऊं।

दास अमित की वंदना, करना प्रभु स्वीकार,
साष्टांग दंडवत नमन करते बारंबार।।
               – अमित पाठक शाकद्वीपी 

प्रेम पथिक की अभिलाषा –(स्वर्णिम दर्पण में प्रकाशित)

थी प्रेम पथिक की ये आशा  कि फिर उनका दीदार हो हो खड़े आमने सामने  बाते भी दो चार हो बीती बातें याद कर  मुस्कुराएं हम दोनों कुछ न...