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शर्द हवा में आहें भर रहा है
कह रहा है कि बड़ा बेताब था तुझ बीन
बयां अपनी मुहब्बत वो आज कर रहा है
इश्क का मौसम आगाज कर रहा है
मिली क्यों नहीं तू अब से पहले
ऐसा मलाल उसके साथ है लेकिन
मिल गए हो तो किस्मत पे अपनी वो नाज कर रहा है
इश्क का मौसम आगाज कर रहा है
अपने गमों को कोई सुरीला साज कर रहा है
निकले हैं आज खुशी में उसके आंसू
तेरे साथ को अपनी ज़िंदगी का ताज कर रहा है
इश्क का मौसम आगाज कर रहा है
कई दफा देखा है तुझको हंसते मुस्कुराते
तुझे जानने को बेहतर तरीके से सनम
ये बंदा खुद को तेरे पास कर रहा है
इश्क का मौसम आगाज कर रहा है
ये अक्टूबर नवंबर दिसंबर का महीना
तेरा साथ रहना तेरे साथ जीना
अब अपनी उम्र तेरे नाम करने का प्रयास कर रहा है
इश्क का मौसम आगाज कर रहा है