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Monday, September 25, 2023

क्या करें??

क्या करें??
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विकृत होती है मानसिकता 
सोच घिनौनी होती है 
बढ़ा के हाथ सहारे का 
फिर वही शख्स दबोचे तो क्या करें?

ये शहर किस ओर जा रहा है?
सड़क पर खड़ा बुड्ढा भी
आधी उम्र की बहु बेटियों को है निहारे
कहो ऐसी नज़र का क्या करें?

कुछ लोग बड़े बेचैन है जानें क्यों?
बेवजह पिछे पड़े रहते हो किसी के
कौन सा है ये घटिया हुनर
 कहो इस हुनर का क्या करें?

इंसानी खाल में भेड़ियों सी ये हरकतें
कोई इन हरकतों से साथ क्यों गुजर बसर करे
नुमाइश कर रहे हो, है चरित्र का चीरहरण ये
कोई जान कर आपकी विकृति क्यों आपका कदर करें।
                  – अमित पाठक शाकद्वीपी

श्री मदन मुरारी कृष्ण

उनके मुख की ज्योति जस ज्योति, अनुपम रूप क्या उपमा होती। उनका पानी जैसे पानी, मंद मृदुल मुस्कान सुहानी। वाणी जैसे शहद अधर पर, सुनना चाहूं ठहर...