कुछ पाने में खोने में , तेरी याद आती है
अकेलेपन में विराने में , तेरी याद आती है
अश्क़ आँखों में होते हैं , तड़पता है मेरा सीना
जब बातों ही बातों में , तेरी कोई बात आती है
जब होता हूँ बहुत खुशहाल , तो तेरी याद आती है
कभी परेशान करता है कोई सवाल , तो तेरी याद आती है
बैठता हूँ पूजा पर या मेले में जाता हूँ
देखकर माँ दुर्गा की मूरत , माँ तेरी याद आती है
भवन बेशक बनाया है , है परिवार का भी सुख
मगर देखकर तेरा कमरा , तुम्हारी याद आती है
नहीं है रोक टोक कोई , है सुखमय सी आजादी
मगर जब सुझाव लेना हो , तो तेरी याद आती है
कभी तन्हा जो मैं बैठु , तेरी तस्वीर को देखूं
उसपल में माँ तेरी बोहोत याद आती है
- अमित पाठक