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Saturday, April 26, 2025

श्री मदन मुरारी कृष्ण

उनके मुख की ज्योति जस ज्योति,
अनुपम रूप क्या उपमा होती।

उनका पानी जैसे पानी,
मंद मृदुल मुस्कान सुहानी।

वाणी जैसे शहद अधर पर,
सुनना चाहूं ठहर ठहर कर।

कृष्ण कृष्ण सम कृष्ण रहें हो,
तन की शोभा चंद्र बदन ज्यों।

हाथों में ले मधुर मुरलिया,
लट घुंघराले जैसे बदरिया।

© अमित पाठक शाकद्वीपी 

श्री मदन मुरारी कृष्ण

उनके मुख की ज्योति जस ज्योति, अनुपम रूप क्या उपमा होती। उनका पानी जैसे पानी, मंद मृदुल मुस्कान सुहानी। वाणी जैसे शहद अधर पर, सुनना चाहूं ठहर...